शनि पूजा विधि (Shani Pooja Vidhi)

शनि पूजा विधि (Shani Pooja Vidhi)

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Shani Pooja Vidhi
Shani Pooja Vidhi

शनि देव् को कर्मफलदाता माना गया है जो मनुष्य को उसके कर्मो के अनुसार अच्छा या बुरा फल प्रदान करते है इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्मो को करना चाहिए और बुरे कर्मो से बचना चाहिए | शनिवार को भगवान शनि की अराधना की जाती है | सभी भगवानो में से शनि भगवान सबसे ज्यादा घातक माना जाता है, इनकी नजर जिस मनुष्य पर पड़ती है वह अपने सुख, शांति, व्यापार आदि सभी में परेशानी अनुभव करता है और खुद भी अव्यवस्थित और अस्वस्थ हो जाता है | ये भी माना जाता है की भगवान शनि जिसके जीवन में आते है तो उसके जीवन पर इसका बहुत ही नकारात्मक असर पड़ता है | (Shani Pooja Vidhi in hindi - Shani Pooja Vidhi)

आप भी जान सकते है की भगवान शनि देव जी का व्रत और पूजा विधि कैसे घर पर कर सकते हैं -

Shani Pooja Vidhi Samagri / शनि पूजा सामग्री

शनि देव् की पूजा / Shani dev Ji ki Pooja के लिए नीचे दी गयी सामग्री की आवश्कता होगी, यदि कोई सामग्री उपलब्ध नही है तो उसके समकक्ष किसी दूसरी वस्तु का उपयोग किया जा सकता है | उसके लिए परेशान ना हो और पूरी श्रद्धा के साथ पूजन करने पर शनि देव् / Shani dev निश्चित रूप से प्रस्सन होंगे और आपकी सभी मनोकामना को पूरा करेंगे | (Shani Pooja Vidhi)

पूजा सामग्री

  • पूजा के लिए शनि देव की मूर्ति / तस्वीर,
  • पानी के लिए कलश, गोबर और मिटटी बेदी बनाने के लिए (चाहे तो लाहे की बेदी में भी पूजा कर सकते है ),
  • पंचामृत (दूध + घी + जल + शहद + दही का मिश्रण ), अष्टांग धूप,
  • फल - फूल , दीपक, सूत का धागा पेड़ को लपेटने के लिए,
  • उड़द, गुड, लोहा, तिल, जौ, तेल और काले वस्त्र (जितना भी संभव हो ) दान के लिए |

Shani Pooja Vidhi / शनि पूजा विधि

जब भी आप श्री शनि देव जी की पूजा आरम्भ करने जा रहे है नीचे दिए गए तरीके से ध्यान पूर्वक की जा सकती है | पूरे मन एवम श्रध्या से पूजा करने पर शनि देव प्रस्सन होते है और आपके जीवन को सुख समृद्धि प्रदान करते है । (Shani Pooja Vidhi)

पूजा विधि

  • इस व्रत को श्रावण मास के शनिवार को किया जा सकता है, इस दिन को व्रत आरम्भ करने का सबसे उचित समय माना जाता है | शनिवार का व्रत स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है | इस दिन से व्रत की शुरुआत करने का विशेष लाभ प्राप्त होता है |
  • शनि देव की पूजा आरंभ करने के लिए सबसे प्रथम स्नान के पश्चात पीपल पेड़ या शमी पेड़ के नीचे गोबर से लीप ले और वहां बेदी बनाए | अब कलश और शनि देव की मूर्ति / तस्वीर को स्थापीत करे |
  • अब शनिदेव के प्रतिमा / तस्वीर को पंचामृत (दूध + घी + जल + शहद + दही का मिश्रण ) से स्नान कराए, और प्रतिमा / तस्वीर पर काले पुष्प, अष्टांग धुप चढ़ाये |
  • अब शनि देव को प्रसाद चढ़ाये और दीपक जला कर से शनिदेव का पूजन करे |
  • शनिदेव के पूजन के समय इनके इन दस नामो का उच्चारण करे जो इस प्रकार है – कोणास्थ, पिंगलो, बभ्रु, कृष्णों, रौद्रोतको, यम, सौरि, शनैश्चर, मन्द और पिप्पला |
  • शनिदेव के पूजा के पश्चात शमी या पीपल पेड़ में सूत (धागा) लपेटते हुए सात परिक्रमा करे और साथ ही पेड़ की भी फल - फूल, दीप आदि से पूजा करे |
  • इसके बाद हाथ में चावल और काले रंग का फूल ले कर शनिवार व्रत कथा को श्रद्धा पूर्वक सुने, कथा के बाद शनिदेव की आरती करे और प्रसाद को बाटे |
  • शनिवार व्रत कथा कहने वाले को दान दे और साथ ही उड़द, गुड, लोहा, तिल, जौ, तेल और काले वस्त्र का दान करे |
  • शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए अलग - अलग तरीके का भोग लगाया जाता है | महीने के पहले शनिवार - उड़द का भात, दुसरे शनिवार - खीर, तीसरे शनिवार - खजला और अंतिम शनिवार - घी और पूरी से शनिदेव का भोग लगाए |




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