दुर्गा माता की पूजा विधि (Durga Mata Ki Pooja Vidhi)

दुर्गा माता की पूजा विधि (Durga Mata Ki Pooja Vidhi)

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विषय सूची

Durga Mata Ki Pooja Vidhi
Durga Mata Ki Pooja Vidhi

हिन्दू धर्म में दुर्गा जी को शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है जिसे पार्वती जी ने राक्षसों का संहार करने के लिए लिया था । देवी दुर्गा को आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है। इनके नौ अन्य रूप है जिनकी पूजा नवरात्रों में धूम-धाम की जाती है । पार्वती माता के दुर्गा रूप की पूरे मन से, विधि पूर्वक पूजा करने से काष्ठों से मुक्ति मिलती है और शत्रुओ को विनाश होता है | नीचे दुर्गा माता की पूजा विधि को विस्तार से बताया गया है - (Durga Mata Ki Pooja Vidhi in hindi - Durga Mata Ki Pooja Vidhi)

Durga Mata Ki Pooja Vidhi Samagri / दुर्गा माता पूजा सामग्री

दुर्गा माता की पूजा / Durga Mata ki Pooja के लिए नीचे दी गयी सामग्री की आवश्कता होगी, यदि कोई सामग्री उपलब्ध नही है तो उसके समकक्ष किसी दूसरी वस्तु का उपयोग किया जा सकता है | उसके लिए परेशान ना हो और पूरी श्रद्धा के साथ पूजन करने पर दुर्गा माता / Durga Mata निश्चित रूप से प्रस्सन होंगे और आपकी सभी मनोकामना को पूरा करेंगे |(Durga Mata Ki Pooja Vidhi in hindi - Durga Mata Ki Pooja Vidhi)

पूजा सामग्री

  • पूजा के लिए माता दुर्गा की मूर्ति / तस्वीर,
  • माता की मूर्ती इस्थापित करने के लिए आसन / पट्टा एवम लाल कपडा आसन पर बिछाने के लिए,
  • देवी मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र,
  • तांबे का लोटा / कलश जल के लिए,
  • दूध, देवी मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण (श्रद्धा अनुसार),
  • प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, पंचामृत( दूध, दही, घी, शहद, शक्कर ),
  • सूखे मेवे, पान, दक्षिणा के लिए सिक्के,
  • गुड़हल के फूल (उपलब्ध न हो तो कोई भी लाल फूल), नारियल, चावल, कुमकुम / रोली,
  • दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, अष्टगंध ।

Durga Mata Ki Pooja Vidhi / दुर्गा माता पूजा विधि

जब भी आप दुर्गा माता जी की पूजा आरम्भ करने जा रहे है नीचे दिए गए तरीके से ध्यान पूर्वक की जा सकती है । पूरे मन एवम श्रध्या से पूजा करने पर शनि देव प्रस्सन होते है और आपके जीवन को सुख समृद्धि प्रदान करते है

पूजा विधि

  • गणेश पूजा : प्रथमपूजनीय गणपति गजानन गणेश जी की पूजा को पुराणों में सुखदाता, मंगलकारी और मनोवांछित फल देने वाला मन गया है | भगवान गणेश की किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी पुजा अनिवार्य है, बिना श्री गणेश की पूजा के किसी भी यज्ञ आदि पवित्र कार्य को सम्पूर्ण नहीं माना जा सकता | इसलिए सर्वप्रथम गणेश जी की मूर्ति / सुपारी के रूप में गणेश जी की पूजा करे |
  • सकंल्प : पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
  • सबसे पहले जिस मूर्ति में माता दुर्गा की पूजा की जानी है। उस मूर्ति में माता दुर्गा को के लिए आवाहन करें। माता दुर्गा को आसन पर लाल कपडा बिछाकर इस्थापित करे ।
  • अब माता दुर्गा को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं।
  • अब माता दुर्गा को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें, तिलक करें। तिलक के लिए कुमकुम, अष्टगंध का प्रयोग करें।
  • अब धूप व दीप अर्पित करें। माता दुर्गा की पूजन में दूर्वा को अर्पित नहीं करें।
  • लाल गुड़हल के फूल / कोई भी लाल पुष्प अर्पित करें। 11 या 21 चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं और माता दुर्गा की आरती करें।
  • आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें।
  • माता दुर्गा की आराधना के समय ऊँ दुं दुर्गायै नमः मंत्र का जप करते रहें।
  • माता दुर्गा की पूजन के पूरा होने पर नारियल का भोग जरूर लगाएं। माता दुर्गा की प्रतिमा के सामने नारियल अर्पित करें। 10-15 मिनिट के बाद नारियल को फोड़े।
  • अब प्रसाद देवी को अर्पित कर भक्तों में बांटें।




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